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सहकारिता


  • 1. उत्तर प्रदेश सहकारी समिति अधिनियम 1965 की धारा 64 (1) के अन्तर्गत प्रत्येक सहकारी समिति का प्रत्येक सहकारी वर्ष में आडिट किये जाने का प्राविधान है। धारा 64 (1) निम्न प्रकार है। ’’निबन्धक अथवा राज्य सरकार द्वारा नियुक्त कोई व्यक्ति प्रत्येक सहकारी समिति के लेखों की लेखा परीक्षा प्रत्येक सहकारी वर्ष में कम से कम एक बार करेगा या ऐसे व्यक्ति द्वारा करायेगा जिसे तदर्थ लिखित सामान्य या विशेष आदेश द्वारा प्राधिकृत किया हो जो ऐसी अर्हतायें रखता हो जो राज्य सरकार द्वारा तदर्थ निर्दिष्ट की जायें’’

  • 2. राज्य सरकार ने अधिसूचना संख्या 9166 सी/12-सी-ए-5 (3)-70 दिनांक 29.03.1971 के द्वारा निदेशक सहकारी समितियां एवं पंचायत लेखा परीक्षा अधिकारीउ॰प्र॰ लखनऊ को निबन्धक, सहकारी समितियां उत्तर प्रदेश की सहायतार्थ नियुक्त किया है तथा इन्हें सहकारी समिति अधिनियम 1965 की धारा 64 की उप धारा (1) के सम्बन्ध में निबन्धक के अधिकार प्रदान किये हैं। निदेशक सहकारी समितियां एवं पंचायत लेखा परीक्षा अधिकारी संगठन, जिसके प्रत्येक जनपद में जनपदीय कार्यालय एवं मण्डलीय स्तर पर मण्डलीय कार्यालय हैं, के द्वारा सहकारी समितियों का आडिट किया जाता है। निदेशक सहकारी समितियां एवं पंचायत लेखा परीक्षा अधिकारीउ॰प्र॰ लखनऊका मुख्यालय इन्दिरा भवन, नवमः तल ,लखनऊ में स्थित है। निदेशक सहकारी समितियां एवं पंचायत लेखा परीक्षा अधिकारीउ॰प्र॰ लखनऊ शासन के वित्त विभाग के अधीन है एवं इनके द्वारा सहकारी समितियों के आडिट करने के उपरान्त आडिट रिपोर्ट सहकारी समितियों/संस्थाओं को उपलबध करायी जाती है। गबन/गम्भीर अनियमितताओं की दशा में लेखापरीक्षक, लेखा परीक्षा पूरी हो जाने के पश्चात विशिष्ट आडिट प्रतिवेदन उत्तर प्रदेश सहकारी समिति नियमावली 1968 के नियम 215 के अन्तर्गत निबन्धक, सहकारी समितियाँ को गोपनीय आवरण में प्रस्तुत करेंगे।

  • 3. सहकारी समितियों/संस्थाओं के सुचारू रूप से आडिट कराने एवं आडिट प्रतिवेदन के आधार पर आवश्यक कार्यवाही समयबद्ध तरीके से कराये जाने के सम्बन्ध में निबन्धक, सहकारिता, उ॰प्र॰ एवं निदेशक सहकारी समितियां एवं पंचायत लेखा परीक्षा अधिकारीउ॰प्र॰ लखनऊ द्वारा संयुक्त हस्ताक्षरों से परिपत्र संख्या सी -30/आडिट-गबन/ दिनांक 05.03.2002 निर्गत किया गया है।

  • 4. सहकारी समितियों के सामयिक आडिट रिपोर्ट के परिपालन का दायित्व सहकारी समिति का है, परन्तु गबन एवं गम्भीर अनियमितताओं की दशा में निर्गत विशिष्ट आडिट प्रतिवेदन पर निबन्धक, सहकारिता, उ०प्र० द्वारा जाँचोंपरान्त अपराधिक, प्रशासननिक एंव अधिभार आदि की कार्यवाही की जाती है। सहकारिता विभाग द्वारा विशिष्ट आडिट प्रतिवेदनों के परिपालन हेतु शीर्ष प्राथमिकता प्रदान की जा रही है।

  • 5. उत्तर प्रदेश सहकारी समिति अधिनियम 1965 की धारा 64 में हुए संशोधन के फलस्वरूप सहकारी बैंकों की सांविधिक लेखा परीक्षा चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट के द्वारा की जा रही है।

  • 6. वित्तीय वर्ष 2022-23 में माह अप्रैल 2023 के प्रारम्भ में 198 विशिष्ट आडिट प्रतिवेदन निस्तारण हेतु लम्बित थे माह अक्टूबर 2023 तक 229 विशिष्ट आडिट प्रतिवेदन प्राप्त हुए हैं। इस प्रकार कुल 427 लम्बित विशिष्ट आडिट प्रतिवेदनों के विरूद्ध माह अक्टूबर 2023 तक 119 विशिष्ट आडिट प्रतिवेदन निस्तारित किये गये हैं। जिसमें पूर्व के वर्षो में प्राप्त विशिष्ट आडिट प्रतिवेदन भी सम्मिलित हैं।

  • 7. किस से सम्पर्क करें- परिपत्र सं०: सी-30/आडिट-गबन/ दिनांक 05.03.2002 के अनुसार जिला सहायक निबन्धक आडिट होने वाली समितियों की सूची, जिला लेखा परीक्षाधिकारी को उपलब्ध करायेंगें अतः समिति, जिला सहायक निबन्धक, सहकारिता/जिला लेखा परीक्षा अधिकारी से समिति के वार्षिक आडिट पूर्ण करने हेतु सम्पर्क कर सकती है।

  • 8. आडिट फीस शासनादेश संख्या-13/2018/आडिट-2-695/दस-2018- 355(11)/2017 वित्त(लेखा परीक्षा) अनुभाग-2 दिनांक 01.10.2018 के क्रम में मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी, सहकारी समितियाँ एवं पंचायतें, उ0प्र0 द्वारा सहकारी समितियों/संस्थाओं का आडिट निःशुल्क किया जायेगा।

  • 9. विशेष अनुसंधान शाखा (सह०) सहकारी संस्थाओं/समितियों में गबन/ अनियमितताओं प्रकरणों में विवेचना विशेष अनुसंधान शाखा (सह०) द्वारा की जाती है, तत्पश्चात मुकद्दमों को माननीय न्यायालय में प्रस्तुत कर अपराधियों के विरूद्ध कार्यवाही सम्पादित करायी जाती है । जिससे कि समितियों में गबन एवं अनियमितता की प्रवृत्ति पर प्रभावी रोक लगायी जा सके । राज्य सरकार द्वारा शासनादेश सं० 3019 सी/12 सी-बी -145/16/69 के द्वारा विशेष अनुसंधान शाखा (सहकारिता) का गठन किया गया है।
    विशेष अनुसंधान शाखा (सह०) में मुख्यालय स्तर पर पुलिस अधीक्षक, का कार्यालय तथा क्षेत्रीय स्तर पर पुलिस उपाधीक्षक के कार्यालय स्थापित किये गये हैं । प्रारम्भ में इस शाखा द्वारा रूपये 10 हजार से अधिक के अपराधिक प्रकरणों में विवेचना की जाती थी। शासनादेश संख्या-1294/12 सी-2-108/76 दिनांक 29.07.1997 के द्वारा इसमें वृद्धि कर रूपये 50 हजार तक किया गया है एवं वर्तमान में शासनादेश संख्या-यूओ-07 /49-2-108/76 दिनांक 25.1.03 में रूपये एक लाख से अधिक के प्रकरणों में विवेचना इस शाखा द्वारा की जाती है। इस धनराशि से कम के प्रकरणों में विवेचना स्थानीय पुलिस द्वारा की जाती है।

  • शाखा द्वारा अपनी स्थापना से अक्टूबर, 2023 तक किये गये कार्यों का विवरण निम्न प्रकार है:-
    प्राप्त प्रकरण निस्तारित प्रकरण अवशेष प्रकरण आरोप पत्र अन्तिम रिपोर्ट गिरफ्तार आत्म समर्पण द0प्र0सं0 की धारा 82/83 की कार्यवाह सजा रिहा दाखिल दफ्तर
    1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11
    13065 13037 28 11526 1490 7614 4301 2034 2162 795 1785
  • 10. उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि शाखा द्वारा समयिक रूप से विवेचना कर न्यायालय में आरोप पत्र/अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की जा रही है। माननीय विभिन्न न्यायालयों में अक्टूबर, 2023 के अन्त में कुल 4829 अभियोग लम्बित हैं जिनमें से पाँच वर्ष तक के 459 तथा पाँच वर्ष से अधिक के 4370 अभियोग लम्बित हैं।

  • 11. आयुक्त एवं निबन्धक, सहकारिता उ०प्र०, लखनऊ कार्यालय से सहकारी संस्थाओं /समितियों के आडिट एवं उनके परिपालन आदि की संख्यात्मक संकलित सूचना प्राप्त करनी हो तो आडिट अनुश्रवण अनुभाग के प्रभारी से सम्पर्क किया जा सकता है। जनपद एवं मण्डलीय स्तर पर आडिट की सूचना के सम्बन्ध में सम्बन्धित सहायक आयुक्त एवं सहायक निबन्धक/उप आयुक्त एवं उप निबन्धक, सहकारिता उ०प्र० एवं जिला लेखा परीक्षा अधिकारी/सम्भागीय लेखा परीक्षा अधिकारी सहकारी समितियां एवं पंचायतें उ०प्र० से सम्पर्क किया जा सकता है।